भाषण

जलने की घटनाओं मे� पीड़ितो� को सहायता देने के प्रत� लक्षित है ब्रिटे�

23 नवम्बर को केरल मे� नए एकीकृ� बर्न-केयर केंद्र के उद्घाट� पर चेन्नई मे� ब्रिटे� के उप उच्चायुक्त भर� जोशी द्वारा टिप्पणियां�

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तह� प्रकाशित किया गय� था
जलने की घटनाओं में पीड़ितों को सहायता देने के प्रति लक्षित है ब्रिटेन

सभी गणमान्� व्यक्तियों और अतिथियों का स्वागत और आप सभी का आभार�

मुझे प्रसन्नत� है कि कोझीको� मे� मेरी पहली यात्रा एक सार्थक आयोज� के लि� हु� है� अध्यक्� महोद�, आपके आतिथ्य और गर्मजोशी से स्वागत के लि� बहुत बहुत धन्यवाद।

जैसा रुडी ने कह�, भारत भर मे� हम महिलाओ� के खिला� हिंस� (वीएडब्ल्यू) से निपटने के लि� सम�, ऊर्ज� और धन की सहायता प्रदान करने के लि� प्रतिबद्� हैं।

पिछल� वर्ष हमने एक ऐसी कानूनी प्रणाली विकसित करने की योजन� को आर्थिक सहायता प्रदान की थी जो केरल और तमिलनाडु के यौ� और घरेल� हिंस� के पीड़ितो� की सहायता करने के लि� बनी थी�

इस वर्ष हमने वीएडब्ल्यू से ही संबंधि� एक उपेक्षित विषय-और भी अधिक राज्यो� मे� जलने की घटना-पर ध्या� केंद्रित किया है� यह मुश्कि� है-यहां तक कि आपत्तिजन� है –वर्गीकृ� करने की कोशि� करना कि कौ� सी हिंस� का स्वरूप बदतर है� लेकि� अफ्रीका मे� मेरे कई वर्षों के अनुभ� से मै� यह जानत� हू� कि जलने की घटना का प्रभाव काफी अल� होता है� जलने की घटना का प्रभाव-अक्स� भयाव� ढं� से-दिखा� देता है� वे प्रभाव स्थायी होते हैं। ऐसी घटनाएं पीड़ितो� को बाकी समाज से अल� कर देती हैं। और जीवितो� मे� से महिलाओ� की कमजोरिया� अधिक विशिष्� होती है�, इसका कारण है महिलाओ� द्वारा परिवारों, मित्रो� और नियोक्ताओं द्वारा मन�-सामाजि� कलंक का सामन� करना�

लोकतांत्रि� शासन और कानूनी शासन को मजबू� करने के लि� ब्रिटे� सरका� के द्वारा कि� गए कार्यो� का आधार स्तं� है� न्या� तक पहुं� और दं� से बचने से निपटना� केवल भारत मे� ही नही� बल्क� विश्� स्तर पर महिलाए� अक्स� हिंस� दर्ज करान� मे� विफल रहती है� और इसके कारण है� सबूतों के अंतराल का भय, कानूनी प्रक्रिय� मे� देरी�

चेन्नई मे� इस पह� की शुरुआत होना को� आकस्मि� घटना नही� हैं। तमिलनाडु मे� एक विशिष्� सार्वजनि�-निजी-नागरिक समाज के बी� सहकार्� है जो कई वर्षों मे� विकसित हु� है और जो बाकी के भारती� राज्यो� के लि� एक आदर्� साबि� हो सकता है� चेन्नई स्थि� पीसीवीसी, जो वीएडब्ल्यू की रोकथाम और उससे निपटने मे� कार्यर� है, ने यह पाया कि जीवि� बच� लोगो� मे� से महिलाओ� को केवल विशेषज्ञ चिकित्सकी� देखभाल ही नही� बल्क� समान रू� से मन�-सामाजि� सहायता के स्वरूप मे� महत्वपूर्ण चिकित्सा के बा� भी देखभाल की आवश्यकता होती है� और इस मॉडल के बिना, जीवि� बच� व्यक्त� दोबारा से उसी हिंस� के चक्र मे� फि� गि� सकते है� या सरास� हाताशा के कारण आत्महत्य� कर लेते हैं। इसलि� उन्होंने अस्पता� के बर्न्स युनि�, पुलि�, वकीलो�, मन�-सामाजि� कार्यकर्ताओं, संभावि� नियोक्ताओं के सा� मिलक� कार्� किया है ताकि यह सुनिश्चि� हो सक� कि जीवि� बच� लोगो� को समग्� सहायता मि� रही है�

इस नई पह� से चा� प्रमुख परिणाम प्राप्� होंग�:

पहला, यह जलने की घटना के हमार� वर्तमा� सम�, रिपोर्टिंग, रिकॉर्डिंग और चिकित्सा एव� चिकित्सा के बा� के प्रबंध� पर आधारित होगा� यह हमें प्रवृत्तियां, स्तर और जटिलता की जानकारी देने मे� सहायता देगा जो बदले मे� राज्� और केंद्री� स्तर की नीति और व्यवहा� को प्रभावित करेगा।

दूसर�, यह चा� लक्षित राज्यो�-तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और नई दिल्ली- मे� क्षेत्री� स्तर की चर्च� की सुविधा प्रदान करेगा। यह आन� वाले हफ्तों और महीनो� के लि� नियोजि� है और यह सार्वजनि� और निजी क्षेत्� के संस्थानो� को एकत्रि� करेग� जो जलने की घटना मे� पीड़ितो� को सहायता देने मे� संलग्न है� जैसे स्वास्थ्� पेशेवर, वीएडब्ल्यू के पीडितो� की सहायता करते एनजी�, जलने की घटनाओं के मामलों का प्रबंध� करती पुलि�, राज्� के स्वास्थ्� और सामा� कल्याण अधिकारी� हमें उम्मी� है कि इससे अन्य राज्यो� को भी इसी तर� की चर्चाओ� को आयोजित करने की पह� करने की प्रेरण� मिलेगी�

तीसर�, यह इस अध्ययन को ठो� सिफारिशो� के रू� मे� अगले वर्ष दिल्ली मे� होने वाले राष्ट्री� स्तर के राउंडटेब� सम्मेल� का मुद्दा बन� सकता है जो इन जीवि� बची महिलाओ� के अनुभवो� को बद� सकता है�

अंतत: यह जमीनी स्तर पर कार्यर� चिकित्सकों के लि� मार्गदर्शक के रू� मे� एक नई ह्स्तपुस्तिक� का निर्मा� करेग� ताकि जलने की घटनाओं मे� जीवि� बची महिलाओ� को समग्� और संयोजि� सहायता प्राप्� हो सके।

रुडी ने बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल (बीएमएच की प्रतिबद्धत� के विषय मे� जानकारी दी जिसक� तह� वे केवल सामान्� स्वास्थ्� सेवा ही नही�, बल्क� जलने की घटनाओं मे� व्यापा� रू� से संभव समर्पि� गह� देखभाल की सुविधा प्रदान करते हैं। केवल मांग के आधार पर प्लास्टि� और पुनर्निमाण शल्यचिकित्सकों और संबंधि� सहायता कर्मी दल होने मे� और वास्तव मे� उन्हें समर्पि� संक्रम� के प्रत� संवेदनशी� बुनियादी ढांच� मुहैया करान� मे� बहुत अंतर है� बीएमएच का बर्न आइसीयू यही सुविधा प्रदान करता है� इस तर� की विशे� सुविधा से जीवि� बच� लोगो� के परिणामों मे� बहुत बड़� फर्क पड़ता है-जैसे दर्द कम करने मे�, त्वरित जांच और आग� संक्रम� के खतरे को कम करने मे�, आग� की सर्जरी की जरूर� कम करने मे�, स्वास्थ्यलाभ ते� करने और जीवि� बच� लोगो� के लि� अधिक सहायता, देखभाल युक्� वातावर� निर्मा� करने में।

भारत मे� ऐसी सुविधाओं की अधिक आवश्यकता है� मै� इस परिवर्तनकारी परियोजना को शुरू करने के लि� और को� बेहत� स्था� के विषय मे� सो� भी नही� सकता�

धन्यवाद।

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प्रकाशित 28 नवंब� 2016