भाषण

ब्रिटे� और भारत: एक महान वैज्ञानि� भागीदारी

रिसर्च काउंसि� यूके प्लेनरी मे�, 12 नवंब� 2013 को ब्रिटि� उच्चायुक्त सर जेम्� बेवन द्वारा दि� गए व्याख्या� की लिखि� प्रतिलिपि।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तह� प्रकाशित किया गय� था
Sir James David Bevan KCMG

प्रोफेसर ग्राइम्स, डॉ. चिदम्बरम, प्रोफेसर बॉयल�, डॉ. मी� तथ� पैनल के अन्य सम्मानित महानुभाव, अतिथिग�, मित्रो एव� सहकर्मियो।

रिसर्च काउंसि� की पाँचवी वर्षगांठ, भारत मे� ब्रिटे� की उपस्थिति और ब्रिटे�/भारत शो� सहभागिता का उत्स� मनान� हेतु एक सप्ताह के कार्यक्र� मे� आप सबका स्वागत करना बड़� गर्व की बा� है�

मुझे यहां भारत मे� उच्चायुक्त के पद पर का� करते हु� दो सा� हो गए� इस पद पर नियुक्� होने से पूर्� मैंन� लगभग ती� महीने अपनी पत्नी के सा� इस महान और खूबसूर� दे� की यात्रा करते हु� बिताया ताकि मै� असली भारत को जा� सकूं� हम भारत के 28 मे� से 20 राज्यो� मे� गए� हमने ग्रामी� जिलो� के लेकर बड़� महानगरों तक की यात्रा की� हम यहां के सभी तबको� और जीवन के सभी क्षेत्रो� से संबधित लोगो� से मिले�

मै� आज के भारत के बारे मे� जो भी जानत� हू� उसका श्रे� उसी भारत दर्श� को जाता है� एक ची� जो मैंन� पा� वह यह कि आप भारत मे� जहां कही� भी जाएं आपको विश्वस्तरी� श्रेष्ठत� के उदाहरण मि� जाएंगे� उनमे� खा� तौ� पर शामि� है� विज्ञा�, शो� और अभिन� विचारो� के क्षेत्� मे� श्रेष्ठता। अपनी यात्रा के दौरा� मैंन� इनके जो उदाहरण देखे, वे थे - लखनऊ का नय� बायोटे� पार्�, बैंगलो� का राष्ट्री� जीवविज्ञान केन्द्�, मैसू� का इनफोसि� कैम्पस और त्रिवेन्द्रम का विक्रम साराभा� अंतरिक्ष केन्द्र।

तब से मैंन� कई अग्रणी भारती� शो� संस्था� देखे और बहुत से भारती� वैज्ञानिको� से इस बारे मे� बा� हु� कि भारत विज्ञा� और शो� के क्षेत्� मे� इतना बढ़िय� कैसे है� इस� मुझस� बेहत� आप सम� सकते है�, किंत� मुझे लगता है कि इसके पीछे कई कारण है�: आपकी विरासत � एक प्राची� सभ्यता जिसन� हजारों वर्षों तक गणित और वैज्ञानि� खोजो� के क्षेत्� मे� दुनिया की अगुवाई की; आपकी संस्कृति � जिसन� ज्ञा� का समाद� इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगो� के सा�-सा� स्वय� ज्ञा� के लि� करने के मूल्� दि�; प्रतिभाशाली भारती� वैज्ञानिको� की आपकी विरासत � जो आनेवाली हर पीढ़ी के लि� रो� मॉडल प्रस्तुत करते है�; विज्ञा� और शो� के लि� सशक्� सहायता जिसक� लि� भारत की हर सरका� प्रतिबद्धत� दर्शाती है; और आपकी मजबू� उद्यमी परंपरा जो नए वैज्ञानि� सिद्धांतों को लाभदाय� व्यावसायिक हकीकत मे� रूपांतरि� कर देती है�

और विज्ञा� के क्षेत्� मे� भारत किसी से भी कम नही� रह� है� भारत ने दुनिया को जि� आविष्कारों से परिचित कराय� उनमे� शामि� है� शून्� सहित आधुनिक अं� प्रणाली जिसक� आज हम उपयो� करते है�, उच्च गुणवत्तायुक्� इस्पात (जिसक� आविष्कार यहां 2000 सा� पहले हु� था), सूती कपड़े, लोकतंत्र (यूनानियो� से भी पहले), रेडियो तरंग (मार्कोनी से भी पहले), मानव शरी� मे� रक्त संचा� का ज्ञा� (पश्चिम द्वारा इस� जानन� से बहुत पहले), शतरं� और स्याही� और प्राची� परंपरा आज भी जीवि� है- अर्थशास्त्री अमर्त्� से�, भौति� वैज्ञानि� सुब्रह्मण्यम चंद्रशेख� और जी� वैज्ञानि� वेंकटराम� रामकृष्ण� जैसे भारती� नोबे� पुरस्कार विजेताओं के संग।

इसलि� एक ऐस� व्यक्त� के रू� मे� जिसन� भारत को थोड़ा-थोड़ा जाना है, मै� आज सुबह सबसे पहले भारती� विज्ञा� और अभिन� परिकल्पन� की प्रशंस� करना चाहत� हूं।

और एक ऐस� व्यक्त� के रू� मे� जो ब्रिटि� उच्चायुक्त भी है, दूसरी ची� जो मै� करना चाहत� हू� वह है ब्रिटे� के विज्ञा� और अभिन� परिकल्पन� की भी प्रशंस� � क्योंक� हम भी इस क्षेत्� मे� अच्छ� हैं। दुनिया के 10 सर्वोच्च विश्वविद्यालयो� मे� से 4 ब्रिटे� मे� हैं। वे सभी अत्याधुनिक शो� कार्यो� मे� लग� हैं। ब्रिटि� लोगो� ने 120 नोबल प्राइज जीते है� और यह संख्या अमेरिक� को छोड़क� दुनिया के किसी भी दे� से अधिक है� और भारत की तर�, हमारी भी कई प्रसिद्ध हस्तियां है� जिन्होंन� विज्ञा� के क्षेत्� मे� महान योगदान दि� है�, जिनमें से मै� यहां केवल सा� के ना� लूंग�: न्यूटन, डार्वि�, फैराडे, मैक्सवेल, त्यूरिंग, क्रि� और हॉकिंग�

और � भारत की ही तर� ब्रिटे� के लोगो� ने भी बहुत सी चीजो� के आविष्कार कि� हैं। उनमे� शामि� है� टेलीविजन, क्रिके�, पेंसिल, टेलीफो�, एसएमएस मैसेजिंग, लाइट बल्ब, रेलव�, भा� के इंजन, होवरक्राफ्�, पेनिसिली�, गुरुत्वाकर्ष�, जे� इंजन, राडा�, देशांत�, सीधे ऊप� की ओर उड़ान भरने वाले एयरक्राफ्ट, विकासवाद, इंटरने�, बंगी जम्पिं� और डा� टिकटें� और दुनिया भर मे� खुशियो� को फैलाने वाली सबसे कमाल की स्वा� भरी वस्त�- स्टिकी टॉफी पुडिंग�

तो भारती� विज्ञा� महान है और ऐस� ही है ब्रिटि� विज्ञान। और यद� आप इस तथ्य को सर� रू� मे� दर्शान� चाहत� है� तो मै� इस सा� या शायद इस दश� के सबसे बड़ी वैज्ञानि� खो� का उल्लेख करना चाहूंग�: हिग्� बोसो� � जिसे गॉ� पार्टिकल भी कह� गय� है, जो यह व्याख्या करती है कि भौति� संसा� कि� तर� का� करता है� यह दो व्यक्तियों के ना� पर है : ब्रिटि� वैज्ञानि� पीटर हिग्�, जिन्होंन� इसकी परिकल्पन� की थी और महान भारती� वैज्ञानि� सत्येन्द्र ना� बो�, जिन्होंन� मौलि� कणों का सिद्धांत विकसित किया था�

हालांक� भारती� और ब्रिटि� वैज्ञानि� दोनो� दुनिया मे� अग्रणी है� लेकि� यद� हम सा� मिलक� का� करें तो हम और भी बेहत� कर सकते हैं। इसी कारण हम विज्ञा�, शो� और आविष्कारों के क्षेत्� मे� भारत और ब्रिटे� के बी� भागीदारी को और भी अधिक विकसित करने के लि� इतने इच्छुक हैं।

2008 मे�, जबसे भारत मे� रिसर्च काउंसि� यूके की स्थापन� हु� है, वह आपसी सहयो� जो पहले से मजबू� था अब और भी तेजी से आग� बढ़ चल� है� पांच सा� पहले ब्रिटे� और भारत के बी� हमारी संयुक्� निधि से चलने वाले शो� केवल दस ला� ब्रिटि� पौंड के बराब� के थे� आज वही 15 करोड़ ब्रिटि� पौंड के बराब� के हैं। लो� क्या कहते है� और क्या करते है� इस बा� से आप यह अंदाजा नही� लग� सकते कि लो� वास्तव मे� कि� ची� की परवा� करते है�, बल्क� यह अंदाजा इस बा� से लगता है कि लो� अपने पैसे कि� चीजो� मे� लगात� हैं। और यह तथ्य कि हमार� दोनो� दे� मिलक� अब संयुक्� शो� कार्यो� पर इतना संसाधन लगात� है�, यह दर्शात� है कि हम दोनो� ही इस बा� को कितन� अहमियत देते हैं।

मै� सम�-सम� पर कार्� मार्क्� को उद्धृत करता हू�, बस लोगो� को जागृ� करने के लि� � और यह ऐसी बा� है जिसस� वाकि� होने की अपेक्ष� ब्रिटि� उच्चायुक्त से लो� नही� करते होंगे। मार्क्� अपने सम� मे� विवादो� से घिरे थे और वह आज भी विवादो� मे� हैं। लेकि� एक बा� जो मार्क्� ने कही थी जिसप� हम सभी सहमत हो सकते है�, वह यह कि : “बात केवल दुनिया को समझन� की नही� है, बल्क� उस� बदलन� की है”।

और यहां वह बा�, अंतत� विज्ञा� तथ� शो� के क्षेत्� मे� हमारी भागीदारी की है� यद्यपि हम विशुद्� शो� केवल शो� के उद्देश्य से ही करते है�, हमारी सहभागिता का लक्ष्य है वास्तविक लोगो� तक वास्तविक ला� पहुंचाना� और ऐस� होता है� मौजूदा उदाहरण है मौसम विज्ञा� पर संयुक्� शो� जो हमार� वैज्ञानि� मानसून के पूर्वानुमा�, नए टीको� का विका� और ग्रामी� भारत मे� बायोमा� के इस्तेमाल मे� सुधा� के लि� कर रह� है� जिसक� ला� समाज को मिलेगा�

तो सज्जनो, हम ब्रिटे� के लो� विज्ञा� और शो� के क्षेत्� मे� भारत के प्रमुख भागीदा� बनकर गर्व अनुभ� करते हैं। हमारी ख्वाहि� है इस कद� को और आग� बढ़ान� और भारत का सर्वाधिक पसंदीदा भागीदा� बनना� पिछल� पांच सा� मे� हमने मिलक� जो तरक्की की है इसके बा� मुझे पूरा भरोस� है कि हम अगले पांच सा� मे� इस लक्ष्य को हासि� कर पाएंगे�

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प्रकाशित 12 नवंब� 2013