इम्फाल युद्� की 70वी� वर्षगांठ का उत्स�
पूर्वी भारत के ब्रिटि� उप-उच्चायुक्त स्कॉ� फर्सेडोन-वु� द्वारा इम्फाल युद्� की 70वी� वर्षगांठ के उत्स� के अवसर पर दिया गय� अभिभाष� �

मणिपुर के महामहि� राज्यपाल, माननी� मुख्यमंत्री, सम्मानित अतिथिवृं�, देवियो� और सज्जनो�!
आज यहां ब्रिटे� का प्रतिनिधित्व करना मेरे लि� बड़� सम्मान की बा� है�
मार्� और जुला� 1944 के बी� जो लड़ाई मणिपुर की पहाड़ियों और घाटियो� तथ� इसके आसमा� मे� लड़ी गई थी उस� सही मायन� मे� द्विती� विश्वयुद्ध को मो� प्रदान करने वाली घटना और महानतम युद्धो� मे� से एक माना गय� है�
जि� पैमाने पर और जि� तीव्रत� के सा� यह लड़ाई लड़ी गई थी वह अपने आपमे� सचमु� एक इतिहास है: इसमे� भारती�, ब्रिटि�, जापानी, अमेरिकी, ऑस्ट्रेलियाई, कनाडियाई और न्यूजीलैंड के 2,00,000 थल एव� वायु सैनिको� ने भा� लिया था जिन्हे� युद्� की कठिनतम परिस्थितियों मे� लड़ना पड़� था� इसमे� हु� प्राणो� की क्षत� के आंकड़� से हमें इस युद्� की भयानकत� का पत� चलता है: 17,500 ब्रिटि� और भारती�-ब्रिटि� सैनि� मारे गए या घायल हु�; 54,000 जापानी सैनि� हताह� हुए। व्यक्तिग� बहादुरी के भी अनोख� मिसा� कायम हुए। ब्रिटि� और राष्ट्रमंड� देशो� को शत्र� का सामन� करते हु� सर्वोच्च और सर्वाधिक प्रतिष्ठित सम्मान के रू� मे� प्रदान किया जाना वाला- 5 विक्टोरिया क्रॉ� (वीसी)- इम्फाल के सैन्� अभियान के लि� प्रदान कि� गए�
एक वीसी 19 वर्षी� अब्दुल हफी� को प्रदान किया गय� जिसे 6 अप्रैल 1944 को इस स्था� से ठी� उत्त� की ओर दुश्मन के ठिकाने पर अपने प्लाटू� के सा� हमला बोलन� का आदेश मिला था जहां केवल एक खड़ी ढा� वाली स्थलाकृत� और सीधी खड़ी चट्टान से होकर ही पहुंचा जा सकता था� मशीनगनो� से गोलियो� की बौछा� के बी� हफी� ने हमले का नेतृत्� किया� वह जानलेव� रू� से घायल हु� लेकि� वह अपने से बड़ी संख्या वाली शत्रुओ� की टुकड़ी तक पहुंचक� उनके ठिकानो� पर कब्ज� करने मे� सफ� रहा। इस कार्� के लि� विक्टोरिया क्रॉ� हासि� करने वाला हफी� द्विती� विश्वयुद्ध मे� पहला मुसलमा� सैनि� था�
दूसर� विक्टोरिया क्रॉ� � वेस्� तॉर्कशाय� रेजिमेंट के पहले बटालिय� के एक्टिं� सार्जेंट 33 वर्षी� हैंस� टर्न� को प्रदान किया गया। उस� मणिपुर मे� 6/7 जू� 1944 को उसके द्वारा दिखा� गए असाधार� वीरत� कार्� के लि� वीसी प्रदान किया गय� जब उसने आधिकारिक प्रशस्ति के अनुसार - “ए� हा� से� और “असाधारण दृढ़त� और उच्चतम धैर्य� के सा� दुश्मनों के हमलो� को झेलत� हु� उन्हें रा� भर रोके रख� ताकि उस दौरा� उसके साथी सैनिको� को सुरक्षित स्था� पर पहुंचन� का अवसर मिले�
हैंस� को पांच बा� और मात्रा मे� ग्रेने� लाने के लि� लौटन� पड़� था और एक हा� वाला यह जांबाज जब छ्ठी बा� ऐस� कर रह� था, शत्रुओ� के वा� को झेलत� हु� वीरगति को प्राप्� हुआ।
हफी� और हैंस� यही� इम्फाल मे� दो खूबसूर� राष्ट्रमंड� युद्�-समाध� मे� दफ� है जिन्हे� बड़� एहतिया� और कायद� से संवा� कर रख� गय� है और जिसक� दर्श� करने का कल मुझे सौभाग्� मिला� विक्टोरिया क्रॉ� से सम्मानित कि� जाने वाले अन्य तीनो� वी� गुरख� सैनि� थे जो युद्� मे� जीवि� बच� थे�
असाधार� वीरत� के प्रत्येक मौजूदा शानदार विवर� के लि� व्यक्तिग� वीरत�, कष्ट और बलिदान की ऐसी अनगिनत और भी गाथाएं, जो कभी किसी को सुना� नही� गई, बेशक उनमे� से कितनी ही यहां घटित हु� होंगी� अपने परिजनो� से सैकड़ों हजारों मी� दू� सभी पक्षों के थल और वायु सौनिको� ने मणिपुर मे� वह अनुभ� हासि� किया जो उन्होंने कभी कल्पना मे� भी नही� सोचा था और जो भाग्� से युद्� मे� जीवि� बच� उनके सा� ये अनुभ� ताउम्र बन� रहे।
मणिपुर के लोगो� के लि� तो यह सारा कु� उनकी जमी� पर उनके घर मे� घटित हो रह� था� निःसंदेह, अनेक मणिपुर वासियो� ने भी बड़ी वीरत� से युद्� मे� भा� लिया� कल मुझे कई वीरो� से यहां मिलन� का सौभाग्� प्राप्� हुआ। लेकि�, ऐस� अनगिनत लो� होंग� जिन्हे� घर-जायदाद खोना पड़� होगा, विस्थापन का दं� झेलन� पड़� होगा और कितनों को ही युद्� के भयान� घा� लेकर बाकी जीवन काटन� पड़� होगा�
युद्� एक जटिल ची� होती है� अंतर्गुंथन की जटिलता और प्रायः विरोधाभासी परिदृश्यों का परिणाम होता है कि घटनाओं के बारे मे� एक निश्चि� सम� अक्स� भ्रांतिपूर्ण बन जाती है� लेकि� जो कु� यहां घटित हु� था उस बारे मे� एक सर� और अखंड सत्य यह है कि सभी पक्षों को भीषण कष्ट और क्षत� का सामन� करना पड़� और हर पक्ष ने असाधार� वीरत� दर्शाई� और इस कारण, 1944 के उन महीनो� मे� जो यहां घटित हु� था वह हमेश�-हमेश� के लि� युद्� मे� भा� लेने वाले सभी देशो� और लोगो� के लि� एक साझा अनुभ� बन� रहेगा। यह मणिपुर वासियो� के लि� भी एक साझा अनुभ� है जिनकी भूमि सदैव उन वीरो� की स्मृति मे� पवित्र बनी रहेगी जिन्होंन� यहां अपने प्राणो� का बलिदान किया�
उसी साझे अनुभ� के लि� हम सभी यहां इकट्ठे हु� हैं। आज सत्त� सा� बा�, मणिपुर के लोगो� के अतिथ� बनकर हम ब्रिटि�, अमेरिक�, जापानी, ऑस्ट्रेलियाई और भारतीयो� का यहां मित्रव� एकजु� होकर मिलन� अत्यंत महत्वपूर्ण बा� है�
इन बीते सत्त� सालो� मे� हमार� राष्ट्रो� ने वैश्वि� सुरक्ष� और हमारी साझी सु�-समृद्ध� के लि� सा� मिलक� का� किया है� यह इसलि� संभव नही� हु� है कि हमने 1944 की घटनाओं को भुला दिया है, बल्क� इसलि� क्योंक� हमने उन्हें या� रख� है और इसलि� कि हमने सम� लिया है कि वह सबकु� अब कभी नही� दुहरान� है� कल, युद्�-समाध� स्थल पर जब हम पुष्पांजलि अर्पित कर रह� थे उस सम� बर्म� अभियान मे� भा� लेने वाले युद्धवीरो� का हमार� सा� मौजू� होना सौभाग्� की बा� थी�
वे सब अब बुजुर्� थे और पूरी आय� जीने का अवसर उनके उन साथियो� को हासि� नही� था जो समाधियों की चिरनिद्र� मे� ली� थे� उनसे बस कु� ही गज की दूरी पर बच्चों की एक टोली बैठी थी, एक स्थानी� स्कू� के विद्यार्थियो� की� 1944 की घटना उनके पैदा होने के कई दश� पहले की है� लेकि� उनकी उपस्थिति और उनकी भूमि पर जो घटित हु� था उसके बारे मे� उनकी सम� तथ� युद्� के बा� हमार� देशो� के बी� स्थापि� शांत� और मैत्री के महत्� के बारे मे� जितन� कह� जा� कम है�
1944 मे� यहां जो कु� हु� उसके बारे मे� जब तक वर्तमा� और भविष्य की पीढ़ियो� के पा� जानकारी और सम� बनी रहेगी तब तक इम्फाल का साझा अनुभ� हमार� भविष्य को बेहत� दिशा प्रदान करता रहेगा।
इसी साझे अनुभ� का स्मर� करने, साझे मे� हमने यहां जो कु� खोया उस� श्रद्ध� सुमन अर्पित करने और अपनी आपसी शांत� और मैत्री का उत्स� मनान� हम सब यहां एकत्� हुए। हम सबको यहां लाने के लि� मै� प्रायोजकों को और इस मनोर� भूमि पर हमार� हार्दि� स्वागत करने के लि� मणिपुर निवासियो� को हृदय से धन्यवा� देता हूं।
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवा�!