भाषण

भारत मे� अंतर्राष्ट्री� महिल� दिवस पर सर जेम्� बेवन का भाषण

भारत स्थि� ब्रिटि� उच्चायुक्त सर जेम्� बेवन केसीएमजी ने 8 मार्� 2013 को अंतर्राष्ट्री� महिल� दिवस के अवसर पर नई दिल्ली मे� भाषण दिया� यहां पे� है उनके मू� भाषण का पूरा पाठ।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तह� प्रकाशित किया गय� था
Sir James David Bevan KCMG

मेरे साथियो� ने आज रा� के लि� मेरा भाषण लिखा� लेकि�, मै� इसका उपयो� नही� कर रह� हूं। इसके बजाए मै� आपको अपने बारे मे� अत्यंत निजी बाते� बताऊंग� और चर्च� करूंगा कि अंतर्राष्ट्री� महिल� दिवस मेरे लि� क्या मायन� रखता है�

मै� आज शा� यहां आय� हू� क्योंक� महिलाओ� के अधिकारों का मसला मेरे लि� वाकई महत्वपूर्ण है� यह अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है� इसके कु� कारण पेशेवर और कु� कारण राजनीति� है�, लेकि� अधिकतर कारण निजी हैं।

इसका मेरे लि� महत्� निम्नलिखित कारणों से है�:

  • क्योंक� मै� ती� बेटियो� का पिता हूं। मै� चाहत� हू� कि वे एक ऐस� विश्� मे� रहें, जहां एकमात्� सीमा उनकी प्रतिभ� और उच्चाकांक्षा हो, जेन्डर नहीं।
  • क्योंक� मै� एक पत� हूं। मेरी शादी प्रे� और समान साझेदारी पर आधारित है� इससे मै� प्रसन्� हूं। मै� चाहत� हू� कि अन्य व्यक्त� इसी तर� की साझेदारी रखें और इसी तर� खु� रहें�
  • क्योंक� कूटनीतिज्� बनने से पहले मै� एक शिक्षक था और मै� एक विकासशी� दे�- अल्जीरिया मे� लड़कियों को पढ़ाता था� मैंन� वहां स्वतंत्र विचारो� की शक्त� के बारे मे� सीखा, जिसस� अवसर खुलत� है� और लड़कियां अपनी पूरी क्षमता का उपयो� कर पाती हैं।
  • क्योंक� मै� एक इंसा� हूं। मै� ऐस� किसी विश्� मे� नही� रहना चाहत�, जहां मानवता के आध� हिस्से को स्थायी रू� से नुकसान पहुंचाया जाता हो, ठुकर� दिया जाता हो या वंचि� रख� जाता हो�
  • क्योंक� मै� एक नेता हूं। नेताओं का कार्� है कि वे जनता के उज्ज्व� भविष्य का निर्मा� करें और अन्य व्यक्तियों के सा� मि� कर कार्� करें� जि� विश्� मे� सभी महिलाओ� के सा� समानता के आधार पर व्यवहा� होता है, वह कही� बेहत� विश्� है�
  • क्योंक� मै� एक अनुसरणकर्त� भी रह� हूं। मैंन� महिलाओ� के अलाव� पुरुषो� के लि� भी कार्� किया है और मै� अपने निजी अनुभ� से जानत� हू� कि महिलाए� कितनी प्रतिभावान नेता हो सकती हैं।
  • क्योंक� मै� एक नियोक्ता हूं। भारत मे� लगभग 1,000 व्यक्त� ब्रिटे� के लि� कार्� करते है�, जिनमें बहुसंख्य� भारती� महिलाए� हैं। वे अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। इस तर� की प्रतिभाए� हमें मिलन� की एक वज� यह है कि हम अपने स्टा� के सा� समान और सम्मानजन� व्यवहा� करते हैं। प्रत्येक नियोक्ता अपने यहां उत्कृष्ट प्रतिभाओ� को रखना चाहत� है� यद� आप भी यही चाहत� है� तो इस 50 प्रतिश� आबादी को वंचि� � रखें�
  • क्योंक� मै� एक यात्री हूं। मै� उन देशो� मे� रह� हू�, जहां महिलाओ� को पुरुषो� के समान अधिकार प्राप्� नही� है� और मै� उन देशो� मे� भी रह� हू�, जहां महिलाओ� को पुरुषो� के समान अधिकार प्राप्� हैं। और, मै� जानत� हू� कि मै� कि� देशो� को पसंद करता हूं।
  • क्योंक� मै� चाहत� हू� कि एक बेहत� विश्� बने। जब महिलाओ� और पुरुषो� को समान अधिकार और अवसर मिलेंग� तो यह विश्� वाकई बेहत� बन जाएगा।
  • क्योंक� मै� एक ब्रिटि� नागरिक हूं। मुझे पिछल� कु� सालो� मे� महिलाओ� के अधिकारों के क्षेत्� मे� ब्रिटे� की उपलब्धियों पर गर्व है, यद्यपि हम जानत� है� कि इस बारे मे� अभी भी कु� कार्� कि� जाने बाकी हैं। और, मुझे ब्रिटे� मे� चल� नारी मताधिकार आंदोलन पर गर्व है, जिसन� ठी� 100 सा� पहले महिलाओ� को वो� का अधिकार देने के लि� आंदोलि� किया था�
  • क्योंक� मै� ब्रिटे� सरका� के लि� कार्� करता हू� और मेरी सरका� समानता, निष्पक्षता और सभी को समान अवसर देने मे� विश्वा� करती है�
  • क्योंक� मै� उच्चायोग का अध्यक्� हू�, जहां हम महिलाओ� और पुरुषो� पर दादागिरी, उनके उत्पीड़� और उनसे भेदभाव को कत� सह� नही� करते (जीरो टोलरेन्स)� इस ‘‘जीरो टोलरेन्स’� को कड़ा� से लागू किया जाता है�
  • क्योंक� मै� जब उन व्यक्तियों को देखत� हू�, जो महिलाओ� के अधिकारों का समर्थन करते है� और जो उनका समर्थन नही� करते, तो मै� जानत� हू� कि मुझे किनक� सा� देना है�
  • क्योंक� मै� जानत� हू� कि महिलाए� पुरुषो� की हिंस� की शिका� बनी है� और मै� इस बुरा� को रोकन� चाहत� हूं।
  • क्योंक� मैंन� अपने करिय� का बहुत सारा सम� विका� के मामलों पर बिताया है और एक बहुत बड़ा सब� सीखा है कि यद� विका� की को� जादु� गोली है तो वह है: लड़कियों को शिक्षि� करना�
  • क्योंक� मै� भारत के भविष्य मे� विश्वा� करता हू� और मेरे मिस्तष्क मे� एक अविस्मरणी� बा� है कि मै� यह भविष्य ग्रामी� भारत मे� देखत� हू� : गुलाबी वर्दी पहने लड़कियां नई साईकिल पर सवार होकर शिक्षा पाने को स्कू� जा रही है�, जो अवसर उनकी माताओं को कभी नही� मिला था�

इसलि�, आज रा� मै� निम्नलिखित बाते� कहता हू�: * मै� महिलाओ� पर हिंस� के खिला� अभियान मे� आपके सा� हू�, * मै� विश्� भर मे� महिलाओ� के अधिकारों के अभियान मे� आपके सा� हू�, और * मै� अन्य लोगो� से इसी तर� के कद� उठान� की आपकी अपी� मे� आपके सा� हूं।

मै� भारत और पूरे विश्� मे� उन महिलाओ� की सराहना करता हू�, जो विश्� मे� बदला� की बयार ला रही हैं। इनमे� से कु� प्रसिद्ध महिलाए� हैं। इनमे� से कु� महिलाए� यहां उपस्थि� हैं। लेकि�, इस तर� की अधिकां� महिलाए� अज्ञात है� और इसी तर� अज्ञात रहेंगी� वे गुमनाम है�, जो प्रतिदिन विश्� मे� स्वय� अपने, अपने परिवार और अपने दे� के लि� बेहत� जीवन के निर्मा� मे� जु� जाती हैं।

और, मै� उन पुरुषो� की भी सराहना करता हू�, जो बदला� की इस बयार के सहभागी हैं। महिलाओ� के आचरण के तरीके मे� बदला� लाना महिलाओ� की जिंदगी बेहत� बनान� के लि� पर्याप्त नही� है : इसके लि� हमें पुरुषो� के व्यवहा� के तरीके मे� भी बदला� लाना होगा� और, यह हो रह� है� मै� अनेक देशो� मे� रह� हू� और कई अन्य देशो� की यात्रा की है� और, मैंन� प्रत्येक जग� पर देखा है कि पुरुषो� मे� बदला� � रह� है : पिता अपने बेटो� के समान ही अपनी बेटियो� की कद्र कर रह� है�, भा� अपनी बहनो� का सम्मान कर रह� है� और पुरु� कर्मचारी एक टी� के रू� मे� अपनी महिल� सहयोगियो� को समान सम्मान दे रह� है� और उनके सा� समान व्यवहा� कर रह� हैं।

मै� आज रा� के इस आयोज� से जुड़� प्रत्येक व्यक्त� को धन्यवा� देता हूं। मै� हमार� मेजबान ब्रिटि� काउंसि�, यूके डिपार्टमें� फॉ� इंटरनेशन� डेवलपमें� और भारत मे� पूअरेस्ट एरियाज सिवि� सोसायटी प्रोग्रा� मे� उनके साझेदारो�, ऑक्सफै� इंडिया और यूएन विमे� का विशे� रू� से आभारी हूं।

मै� आप सभी को ट्विटर पर मेरा अनुसरण करने एव� मुझे यह बतान� के लि� आमंत्रित करता हू� कि आपके अनुसार हम मि� कर महिलाओ� के अधिकारों के संघर्ष के बारे मे� और क्या कद� उठ� सकते हैं।

और, मै� आप सभी को मे� शामि� होने के लि� आमंत्रित करता हूं।

अंतत: मै� आपके समक्� ती� उद्धरण पे� करता हूं।

पहला उद्धरण : ‘व्यवहारशी� महिलाए� विरल� ही इतिहास रचती हैं।� मै� आपको बुरी तर� व्यवहा� करने को प्रोत्साहि� करता हूं।

दूसर� उद्धरण : ‘नारीवा� एक अतिवादी धारण� है कि महिलाए� इंसा� हैं।� मै� सारे विश्� को अतिवादी बनने को प्रोत्साहि� करता हूं।

और, अंति� उद्धरण जवाहरलाल नेहर� द्वारा अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लिखा गय� कथ� है : विश्� मे� दो तर� के व्यक्त� है� : वे व्यक्त�, जो कार्यो� को करते है और वे व्यक्त�, जो कार्यो� का सारा श्रे� लेते हैं। पहली श्रेणी के व्यक्तियों मे� शामि� हो� क्योंक� उनमे� प्रतिस्पर्धा बहुत कम है� इसलि�, आइ�, पहली श्रेणी मे� शामि� होने की आज प्रतिज्ञ� करें�

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प्रकाशित 8 मार्� 2013